उपराष्ट्रपति माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धन खड का इस्तीफा ?
नई दिल्ली गाजियाबाद मेरठ मोदीनगर (डॉक्टर किशन लाल शर्मा )
धनखड़ का इस्तीफा:
नई दिल्ली गजियाबाद ; मोदीनगर ( डॉक्टर किशन लाल शर्मा ) बीमारी की आड़ या सियासी ऑपरेशन? उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड का इस्तीफा केंद्रीय शासन के दमनकारी या कानून पर हावी विधि के अनुरूप है भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जबकि केंद्रीय सरकार सांप्रदायिकता अधिक बढ़ारह है
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने केंद्र सरकार को दमनकारी सरकार बताया है /
तो हुआ वही जो भारत की राजनीति में अक्सर होता है — कुछ अचानक, कुछ अनकहा, और बहुत कुछ अनसुलझा।
भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लोग हैरान परेशान हैं।
कारण? स्वास्थ्य...!
पर असली कारण अब जो सामने आ रहा है. .
सिर्फ दो मिनट लगेंगे...
आइए पहले भूमिका तैयार करते हैं फिर मुख्य मुद्दे पर आएंगे क्योंकि अब यह “स्वास्थ्य” शब्द सुनते ही देश के राजनीतिक जानकार मुस्कुराने लगे हैं।
क्योंकि जब भी कोई बड़ा आदमी "स्वास्थ्य कारणों" से पद छोड़ता है, तो लोग असली बीमारी कहीं और ढूंढने लगते हैं — कभी सिस्टम में, कभी दबाव में, और कभी अगले चुनाव की रणनीति में।
अब धनखड़ साहेब को क्या बिमारी है..
अगर यह जानने की आपके मन में उत्सुकता है तो यह पोस्ट आपके लिए ही है। इसमे धनखड़ जी के संभावित बिमारियों जबरजस्त विश्लेषण मिलेगा, कारण भी...
पहली बीमारी: न्यायपालिका से ‘टकराव’
धनखड़ साहब कोई शांत-चित्त सीधे-सीधे उपराष्ट्रपति नहीं थे।
वे न्यायपालिका पर बार-बार सवाल उठा चुके हैं — अनुच्छेद 142 को “परमाणु मिसाइल” कहना, या जजों को 'सुपर संसद' घोषित करना— ये सब बातें तो जैसे सुप्रीम कोर्ट के गले में फंसी हड्डी बन चुकी थीं।
ऐसे में सवाल उठता है — क्या ये इस्तीफा वास्तव में स्वास्थ्य के लिए था या "संवैधानिक संतुलन" को फिर से सेट करने के लिए?
क्या मोदी सरकार ने यह समझ लिया कि धनखड़ साहब की जुबान गठबंधन पर भारी पड़ रही है?
क्या न्यायपालिका के ‘सम्मान’ को बचाने के लिए बलि का बकरा चुना गया?
दूसरी बीमारी:
“चुनावी बुखार और बिहार की पॉलिटिक्स”
बिहार का चुनाव नजदीक है। एनडीए गठबंधन कमज़ोर दिख रहा है। ऐसे में क्या यह इस्तीफा “पद खाली करने का यज्ञ” है, जिससे किसी जदयू नेता को उपराष्ट्रपति बना कर बिहार में समीकरण साधे जाएं?
डॉ. हरिवंश — राज्यसभा के उपसभापति,
या.. रामनाथ ठाकुर — कर्पूरी ठाकुर जी के बेटे,
दोनों ही ऐसे नाम हैं जो वोट भी दिला सकते हैं और जातीय संतुलन भी बना सकते हैं। बिहार में चुनाव है और जाति समीकरण पर राजनीतिक दलों का ध्यान ना हो ये कैसे हो सकता है।
तीसरी बीमारी: नीतीश का ‘वादा’
एक और अफवाह उड़ रही है कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने का वादा किया गया था।
अब ये बात कुछ हज़म नहीं होती, क्योंकि NDA ने उन्हें फिर से बिहार का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया है। पर राजनीति में वादे निभाए कब जाते हैं?
यहां तो वादों से पहले ही "पतंग" काट दी जाती है।और वैसे भी, मोदी सरकार को सरप्राइज़ फैक्टर के लिए कौन नहीं.....
कुछ भी हो आने वाले दिनों में जोरदार ड्रामा देखने को मिलने वाला है।
Dr किशन लाल शर्मा प्रदीप टाइम्स
मोदीनगर जिला गाजियाबाद